वो सारी लड़कियां शाम को उनके घर पहुँच गई । यह पहली बार है जब कथा यहाँ आयी थी । वह हमेशा उसे अपने पेंटहाउस में ले जाता था ।
वो उसके खूबसूरत घर को देखकर दंग रह गयी । इसमें कोई शक नहीं कि वह दानव 👿 बहुत अमीर है ।
घर अंदर से और बाहर से खूबसूरती से सजाया गया था । कथा को यकीन नहीं हुआ कि वह यहाँ अकेला रहता है । "उसके पास लाइफ में सब कुछ है । पैसा, पावर, पोपुलारिटी, एक जिनियस माइंड, खुबसूरती और उसके स्टेमिना के बारे में तो क्या ही कहना 😉 । फिर भी उसने मुझे ऐसा कुछ ऑफर किया। वह किसी से भी शादी कर सकता है । कोई भी लड़की उससे शादी करने को अपनी खुशकिस्मती समझेंगी । वह एक नई ज़िंदगी शुरू कर सकता है ।"
"फिर मैं हीं क्यों? 🤔"
नील को सिढियों से उतरते देख कर कथा की सोच की डोर टुटी । वो सब उसका इंतज़ार कर रही थी । कथा उसे देखकर खड़ी हो गयी ।
और अब आगे ।
"Good evening sir"
विशाखा ने बड़े ही प्यार से कहा ।
""Sit down..."
उसने अपनी जगह ले ली । कथा ने उसकी आँखों में आँखें नहीं डाली ।
"सर, कथा ने यह प्रोजेक्ट डीजाइन तैयार किया है..."
विशाखा ने कहा ।
""Give it to me""
कथा ने उसे प्रोजेक्ट डीजाइन थमा दिया । वह भी उसकी तरफ नहीं देख रहा था । उसने प्रोजेक्ट डीजाइन देखना शुरू कर दिया । उसने कुछ सुधार किए और पेपर्स कथा को वापस दे दिया । सब कुछ नोर्मल लग रहा था । कथा ने उसकी अंगुलियों पर घाव देखा ।

"सर, आपके हाथ को क्या हुआ?" विशाखा ने उससे पूछा ।
उस दिन को याद करके कथा का पूरा शरीर अकड़ गया ।
"कुछ नहीं... मैंने तो बस एक चोर को मारा, वह मुझसे कुछ चोरी करने की कोशिश कर रहा था" नील ने अपने घाव को देखते हुए कहा ।
कथा ने मन ही मन अपनी आँखें घुमाई । कितना नया झूठ बोला है!
"कौन सी चीज़ सर?" विशाखा ने फिर पूछा ।
"है.. कोई... कोई कीमती चीज़" उसने कहा ।
"वह क्या कह रहा है? वह उस लड़के को सिर्फ़ इसलिए पीट रहा था क्योंकि उसने मुझे ड्रिंक ऑफर की थी । साइको प्रोफेसर!" कथा ने मन ही मन उसे कोसा ।
"यह पहली बार है जब तुम मेरे घर आई हो.. मैं तुम्हारे लिए कुछ स्नैक्स की अरेंजमेंट कर दूँ" वह कहते हुए खड़ा हो गया ।
यह सुनकर सभी बहुत खुश हो गए । प्रोफेसर नीलेश खन्ना ने उनके लिए डिनर का अरेंजमेंट किया था । अब वे कॉलेज जाकर दुसरी फेकल्टी के स्टूडेंट्स को यह बात बताएँगे और उन्हें जैलेस बनाएँगे ।
कथा को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था । उसे घर जाने का मन कर रहा था । और यह बात उसने विशाखा को बताई लेकिन उसने कथा को जाने नहीं दिया ।
कुछ ही देर में खाना आ गया । कथा ने उसे छुआ तक नहीं । उसने ऐसा एक्ट किया जैसे वो खा रही है लेकिन उसने एक भी निवाला नहीं खाया था ।

"Excuse me...". उसने बाकी लड़कियों से कहा और उठ गई ।
कथा वॉशरूम की ओर चल पड़ी । उसने एक हाउस हेल्प से पूछा और उसने कथा को रास्ता दिखाया ।
वो वॉशरूम में घुसी और तुरंत पीछे हट गयी ।
वह नहा रहा था ।
"I am sorry.... मे गलती से यहां आ गयी" कथा तुरंत अपना चेहरा घुमाकर जाने लगी कि नील की आवाज़ ने उसे रोक लिया ।

"मुझे तौलिया दे दो..." नील हाथ बढ़ा कर कहा ।
कथा ने तौलिया पकड़ लिया । उसने तौलिया उस पर फेंक दिया । वो बाहर आने ही वाली थी कि अचानक उसने देखा कि विशाखा वॉशरूम की ओर आ रही है । उसकी आँखें चौंक कर चौड़ी हो गईं ।
वह भी है टेंशन के साथ बाथरुम में वापस अंदर आ गई ।
"विशाखा यही आ रही है..." कथा ने उसे डरते हुए बताया ।
नील ने उसकी कलाई पकड़ी और उसे एक कोने में खींच लिया । वह दोनों खंभे के पीछे छिप गए । कथा का सिर उसकी सिने से सटा हुआ था । उसके हाथ अपने आप नील के धड़ पर चले गए ।
विशाखा वॉशरूम में घुस गई । उसने अपने हाथ धोए । फिर वह इधर -उधर देखने लगी । उसने शैम्पू उठाया और उसे सूंघा ।
"प्रोफ़ेसर नील..... आपकी खुशबू कमाल की है" उसने किसी ड्रग एडिक्ट की तरह कहा ।
कथा वाकई चौंक गई । उसने तुरंत नील की तरफ़ देखा । उनका चेहरा खाली दिख रहा था ।
फिर उसने किसी को फ़ोन किया ।
"अंदाज़ा लगाओ! मैं प्रोफ़ेसर नील के वॉशरूम में खड़ी हूँ... बेबी, तुम यकीन नहीं करोगी कि मैं सचमुच उनकी चीज़ों को छू रही हूँ... ओह गॉड! काश मैं उन्हें नहाते हुए देख पाती" वह बहुत डेस्पेरेटली बोल रही थी ।
कथा के कान जलने लगे और उसने अपने प्रोफ़ेसर की तरफ़ देखा जो शर्मिंदा दिख रहे थे लेकिन उससे ज़्यादा वे गुस्से में दिख रहे थे ।
"उसने अभी -अभी हमें डिनर ऑफर किया है... यह आदमी मेरे दिमाग से निकल ही नहीं रहा है.. वह बहुत हॉट है यार.. वह कथा भी यहाँ है.. प्रोफ़ेसर नील उस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है... अच्छा है, तुम जानती हो.. मैंने हमेशा सोचा था कि वह कथा को पसंद करता है, लेकिन आज उसने उसकी परवाह नहीं की... ठीक है बेब.. मैं तुम्हें बाद में कॉल करूँगी... वैसे मैं उसका परफ्यूम चुराने जा रही हूँ.." उसने परफ्यूम की बोतल उठाते हुए मिरर में विंक किया ।
आखिरकार विशाखा बाहर चली गई ।
Se
कथा ने एक गहरी साँस ली और उसके शरीर से पीछे हट गई ।
"क्या तुम कहीं जोब कर रही हो?" नील ने उससे पूछा ।
वो रुक गई ।
"अभी नहीं.. लेकिन मैं पार्ट टाइम जॉब की तलाश कर रही हूँ" उसने जवाब दिया ।
"तुम्हारा लैबोरेटरी बिल पेंडिंग है" नील ने कहा ।
इस बार उसने अपना चेहरा उसकी तरफ घुमाया । वह शीशे के सामने खड़ा होकर अपने बाल पोंछ रहा था ।
"मैं जल्द ही इसका पेटेंट कर दूँगी..." कथा ने अपने होंठ काटते हुए कहा ।
"Very good"
कथा को उसके लहज़े में मज़ाक का भाव महसूस हुआ ।
"आपको मेरी चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, ठीक है?" उसने पलटकर कहा ।
वह शीशे से मुस्कुराया ।
"मैं ऐसा क्यों करूँगा? हमारे बीच जो डील थी वह तो अब खत्म हो गयी है, है न?" नील ने मुस्कुराते हुए कहा ।
कथा ने उसे कोफिडेंस से देखा ।
"हाँ, वह डील खत्म हो गयी है" वो सीधे बाहर चली गयी ।
घर पहुँचने के बाद, उसने अपनी माँ को रोते हुए पाया ।
"क्या हुआ माँ?" कथा ने चौंक कर उससे पूछा ।
"मकान मालिक आया था... वह चाहता है कि हम 24 घंटे के भीतर यह अपार्टमेंट खाली कर दें..." सरस्वती जी ने रोते हुए कहा ।
"क्या? क्यों? हमने तो इस महीने का किराया चुका दिया है" कथा ने हैरानी से पूछा ।
"मुझे नहीं पता बेटा... वह अभी आया और मुझे यह नोटिस दिखाया" सरस्वती जी ने उसे नोटिस देकर कहा ।
कथा ने उनके हाथ से नोटिस छीन लिया । उसकी आंखों के आगे अँधेरा दिखने लगा ।
"' अब हमें कहाँ जाना चाहिए?" उसने नोटिस को तनाव में देखा ।
"कथा बेटा, अब हम कहाँ जाएँगे..." उसकी मां घबरा रही है ।
"माँ, मुझे कुछ सोचने दो..." कथा ने उन्हें दीलासा दीया ।
"तुम अपने प्रोफेसर को क्यों नहीं बुलाती?" सरस्वती जी ने उससे कहा ।
उसने चौंक कर अपनी माँ की तरफ देखा ।
"वह एक अच्छा आदमी है.. शायद वह हमारी मदद कर सके"
कथा ने उन्हें टेंशन में देखा । "मैं उसे नहीं बुला सकती । मैंने यह फैसला लिया है कि मैं फिर से उस भूलभुलैया में एंटर नहीं करूँगी । मैं कोई ना कोई दूसरा रास्ता खोज लूँगी, लेकिन मैं उसकी मदद नहीं लूँगी ।
मैं फिर से उस नील दानव 👿 के हाथ का खिलौना नहीं बनुंगी ।
कभी नहीं! ।
क्या कथा सचमुच नील दानव 👿 के चुंगल से निकाल गई है ? 🤔
अब किस मदद मांगेगी कथा ? 🤔
क्या सब कुछ फिर से वैसे ही हो जाएगा जैसे पहले था ? 🤔
जानने के लिए आगे की चैप्टर पढ़ते रहिए 📖
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